सोरायसिस में घृतकुमारी का महत्व
घृतकुमारी या आम प्रचलन में एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जो कि विशेषकर जल के अभाव में पलता और बढ़ता है। इस कारण उसमें जल को संचित कर रखने की क्षमता काफी अधिक होती है। इस कारण यह आदिकाल से एक मॉइस्चरिसेर के रूप में प्रचलित है।
मॉइस्चराइज़ेशन की प्रक्रिया से ऊपर की मृत त्वचा फटती नहीं है। त्वचा के न फटने से त्वचा का स्वरुप बना रहता है तथा किसी भी प्रकार के संक्रमण से भी सुरक्षा रहती है।
शीत व रूक्ष काल में मॉइस्चराइज़ेशन का मानव संस्कृति में भिन्न भिन्न प्रकार प्रचलन रहा है। इसी हेतु के निदानार्थ सोरायसिस में यह व्यथा प्रचलित होने के कारणवश सोरायसिस में मॉइस्चरिज़तिओन का विधान है तथा एलोवेरा का विशेष प्रचलन है।
घृतकुमारी या आम प्रचलन में एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जो कि विशेषकर जल के अभाव में पलता और बढ़ता है। इस कारण उसमें जल को संचित कर रखने की क्षमता काफी अधिक होती है। इस कारण यह आदिकाल से एक मॉइस्चरिसेर के रूप में प्रचलित है।
मॉइस्चराइज़ेशन की प्रक्रिया से ऊपर की मृत त्वचा फटती नहीं है। त्वचा के न फटने से त्वचा का स्वरुप बना रहता है तथा किसी भी प्रकार के संक्रमण से भी सुरक्षा रहती है।
शीत व रूक्ष काल में मॉइस्चराइज़ेशन का मानव संस्कृति में भिन्न भिन्न प्रकार प्रचलन रहा है। इसी हेतु के निदानार्थ सोरायसिस में यह व्यथा प्रचलित होने के कारणवश सोरायसिस में मॉइस्चरिज़तिओन का विधान है तथा एलोवेरा का विशेष प्रचलन है।
No comments:
Post a Comment